ऐसी मान्यता है कि बिहारी जी का उक्त विग्रह एक स्वयं-भू (स्वयं प्राकट्य) विग्रह है। उक्त विग्रह चार फीट ऊँचा पाषाण का बना हुआ है। बिहारी जी के साथ-साथ श्री राधा जी की धातु से बनी विग्रह भी विराजमान है तथा मंदिर में युगल स्वरूप के दर्शन होते है। वर्तमान में उक्त मंदिर का निर्माण बंसी पहाड़पुर पत्थर से मंदिर निर्माण की नागर शैली में हुआ है जिसमें तीन मण्डप बने है। नृत्य मंडप, रंग मंडप तथा गर्भगृह। मंदिर में वर्ष पर्यन्त विभिन्न उत्सव मनाए जाते हैं। यह भरतपुर शहर का सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिर है।
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